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Tuesday 7 May 2019

नोटबंदी बनाम शराबबंदी


नोटबंदी बनाम शराबबंदी

जैसा की सबको पता है की भारत देश में नोटबंदी हुआ जो कि एक बहुत हि क्रांतिकारी कदम था वही एक ओर बिहार में शराबबंदी हुआ जो की पुरे देश में चर्चा का विषय बना रहा अब सवाल यह उठा की इन दोनों में श्रेष्ठ कौन 
किन्तु मेरा मानना है की दोनों ही अपनी जगह श्रेष्ठ है क्योकि दोनों हि मनुष्य के जीवन में खुशहाली लाने का काम किया है 
आप का क्या विचार है इस बारे में 

Monday 6 May 2019

वो एक शाम

एक समय था जब सभी दोस्त मिलकर मैदानों में खेला करते थे फिर चाहे क्रिकेट हो या फुटबॉल या फिर पकरम  पकरायी  उस वक्त किसी के पास मोबाइल नहीं था फिर भी सभी समय पर बिना संपर्क किये मैदान में आ जाते थे और आज का समय सभी   मोबाइल लेकिन किसी से कोई संपर्क नहीं न मिलना  ना  कोई खेल  आज तो सिर्फ मोबाइल मात्र दोस्त बनकर रह गया  बस याद आती है तो वो शाम 

Friday 8 March 2013

महिला दिवस है शक्ति दिवस

एक नारी की पूजा का विधान भारतीय शास्त्रों में आदि देवी शक्ति की उपासना का सबसे बेहतर तरीका माना गया है. कन्या पूजन से बड़ा पुण्य कुछ नहीं होता और बेटी के कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं होता. लेकिन पवित्र शास्त्रों में लिखी-कही यह बातें क्या सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहेंगी? आखिर क्यूं जिस देश में नारी को कन्या रूप में पूजने का विधान है वहां कन्या भ्रूण हत्या एक बड़े पैमाने पर होती है? क्यूं जिस देश में परमात्मा को नारी रूप में देवी मां कहा जाता है उसे घर की चौखट के अंदर ही रखा जाना बेहतर समझा जाता है? क्यूं इस देश में मर्दों की मर्दानगी अपनी पत्नी पर काबू रखने और उसके शरीर पर चोट देने की कला से मापा जाता है? आज विश्व महिला दिवस के मौके पर शायद हर भारतीय महिला के मन में यही प्रश्न हो और सिर्फ भारत ही क्यूं विश्व के अन्य देशों में भी महिलाओं की स्थिति वासना-पूर्ति और बच्चा जनने वाली मशीन से अधिक नहीं है !!

आज जब हम विश्व पटल पर बड़ी-बड़ी महिलाओं को राष्ट्राध्यक्ष या बड़े कारोबारियों की लिस्ट में अव्वल पाते हैं तो हमें लगता है हो गया भैया नारी सशक्तिकरण  लेकिन  मुठ्ठी भर महिलाओं के उत्थान करने से पूरे नारी समाज का तो कल्याण नहीं हो सकता ना. आज अगर सच में महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ होता तो दिल्ली गैंगरेप के बाद जनता को सड़कों पर ना उतरना पड़ता, गोपाल कांडा जैसे नर पिशाचों के पंजों तले किसी गीतिका जैसी फूल के अरमान ना कुचलते. गर देश और इस संसार में महिलाओं को जीने और सम्मान से रहने का समान अवसर प्रदान होता तो कन्या भ्रूण हत्या एक वैश्विक समस्या नहीं बनती.

भारतीय वेदों में वेदों में ही लिखा गया है कि:“यत्र नार्यस्तु पूज्‍यंते रमन्ते तत्र देवता” यानि ईश्वर अर्द्धनारीश्वर रूप में हैं यानि ईश्वर भी नारी के बिना आधे और अधूरे हैं.


जहां नारी की पूजा होती है वहां ईश्वर का वास होता है. लेकिन आधुनिक समाज और बाजारवाद ने महिलाओं को मात्र उपभोग की वस्तु बनाकर पेश किया है. आज बाजारवाद का ही नतीजा है कि डियो से लेकर कंडोम तक के विज्ञापनों में आपको नारी की कामुकता पेश की जाती है. फिल्मों में नारी को भोग की वस्तु के रूप में सजा कर परोसा जाता है

ये सब बंद होना चहिये और इसे ख़त्म करने के लिए फिर किसी को झाँसी की रानी तो बन्ना ही पड़ेगा !!






Wednesday 14 November 2012

छठ पूजा

छठ पूजा हिन्दुओ के पर्व में सबसे बड़ा पर्व मन जाता है !
ये पर्व मुख्यतः बिहार का पर्व है पर आज ये पुरे भारत में फ़ैल चूका है क्युकी ये पर्व हिन्दुओ का महान पर्व मन जाता है !
छठ पूजा भगवान सूर्य के लिए की जाती है !
इस पर्व को महिलाओ के साथ साथ पुरुष भी करते है
!

इस पर्व में हर चीज की सफाई का खास ध्यान रखा जाता है
छठ पर्व दीपावली के 6 दिन बाद शुरु हो जाता है
छठ पर्व कददु भात से शुरु होता है ! फिर उसके दुसरे दिन खरना होता है इस दिन घर के सभी सदस्य पडोसी मित्र एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते है ! फिर उसके दुसरे दिन शाम में छठ का डाला लेकर गंगा घाट जाते है और डुबते सूर्य को अर्ग अर्पण करते है ! फिर उसके अगले दिन सुबह में घाट जाते है और उगते हुए सूर्य को अर्ग अर्पण करते है ! और उसी दिन छठ पर्व भी समाप्त हो जाता है !

Wednesday 1 August 2012

रक्षा बंधन डोर एक प्रेम की

कल रक्षा बंधन हैं सोचता हूँ बहनों को क्या दू
रुपया दू ,उपहार हूँ या फिर प्यार का सौगात दू
बहने तो सिर्फ हमारा प्यार चाहती हैं
बहने तो सिर्फ हमारी सलामी चाहती हैं
मैं सोचता हूँ बदले में बहनों को क्या दू
क्या उन्हें उनकी रक्षा का वादा दू
क्या उन्हें ये भरोषा दू
कभी भी उनके प्यार को कम न होने देंगे
ऐसा ही कोई विश्वास दू सोचता हूँ , बहनों को क्या दू
(मेरे तरफ से भाई-बहन के प्रेम का ये त्यौहार आप सबको मुबारक हो )
कीजिये एक वादा मुझसे करेंगे रक्षा बहनों का ,देंगे प्यार-दुलार बहनों को कदमो में रख देंगे सारे संसार की खुशिया,ऐसा ही एक वादा कीजिये बहनों से )
कल रक्षा बंधन हैं सोचता हूँ बहनों को क्या दू
रुपया दू ,उपहार हूँ या फिर प्यार का सौगात दू
बहने तो सिर्फ हमारा प्यार चाहती हैं
बहने तो सिर्फ हमारी सलामी चाहती हैं
मैं सोचता हूँ बदले में बहनों को क्या दू
क्या उन्हें उनकी रक्षा का वादा दू
क्या उन्हें ये भरोषा दू
कभी भी उनके प्यार को कम न होने देंगे
ऐसा ही कोई विश्वास दू सोचता हूँ , बहनों को क्या दू
(मेरे तरफ से भाई-बहन के प्रेम का ये त्यौहार आप सबको मुबारक हो )
कीजिये एक वादा मुझसे करेंगे रक्षा बहनों का ,देंगे प्यार-दुलार बहनों को कदमो में रख देंगे सारे संसार की खुशिया,ऐसा ही एक वादा कीजिये बहनों से )

Monday 30 July 2012

शिक्षा का व्यापार

यूं तो हमारा भारत देश विकाशील देश है और विकसित देश बन्ने की ओर अगर्सर है !
पर आज भी हमारा देश शिक्षा के मामलो में पिछड़ा हुआ है !
सिर्फ कहने को हमारा देश विकाशील है!
ओर आज भी कई गाँव में ही नही वरन सेहरों में भी इसका स्तर गिरा हुआ है
आज भी ऐसे कई जगह है जहा पे खुले मैदान में दीवारों पे बोर्ड टांग कर पदाया जाता है !
सवाल ये है की सरकार शिक्षा की इन बुनुयादी चीजो की कमी दूर करने के लिए कड़ोरो रुपये देते है!
पर ये पैसा जाता कहा है !
एक समय था जब शिक्षा दान किया जाता था ओर एक आज का समय है जहा शिक्षा का व्यापार होता
है !
जब पूरी दुनिया में आर्थिक संकट गहराया था तो सिर्फ भारत देश ही एक ऐसा देश था जहा पे इसका कोई प्रभाव नही पड़ा !
फिर भी इसी भारत देश में शिक्षा का आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब क्यों!
ये सवाल सिर्फ मेरा नही आपका भी है!
जरा सोचिए !

Friday 25 May 2012

शिक्षा का बढ़ता विस्तार और बेरोजगारी

शिक्षा का बढ़ता विस्तार और बेरोजगारी

बहुत पहले हमारे देश में शिक्षा को प्राथमिकता नही दी जाती थी !
पर आज हमारा देश शिक्षा के छेत्र में कई बुलंदिया छु रही है
पुरे दुनिया में में भारतीय शिक्षा का डंका बज रहा है !
पर जिस तरह से शिक्षा का विस्तार हुआ उस तरह कार्य के  छेत्र में विस्तार नही हुआ !
उल्टा जैसे जैसे शिक्षा का विकास होते गया वैसे वैसे बेरोजगारी में विस्तार होते चले गई !
आज हमारे देश में कई पढ़े लिखे नौजवान नौकरी तलाश में दर दर की ठोकरे  फिरते है !
डिग्री की कोई कमी नही है
एक एक से डिग्रिया है पर नौकरी नही है
अछे खासे पढ़े लिखे नौजवान सिर्फ अपना पेट पालने केलिए मजदूरी कर रहे है !
इन सब चीजो को देखने के बाद इस सोच में पर जाता हु की क्या फायदा हुआ फिर इस तरह से शिक्षा पाकर !
हम अपने ही देश में अंजानो की तरह इधर उधर भटक रहे है !
काफी कुछ कहना है मुझे इस बारे में
तब तक आप से अनुरोध  है इस विषय  पे जरुर सोचिए और अपनी राय मुझे दीजिये !
मै वापस आकर आपसे बात करता हु
तब तक के लिए नमसकार !!